संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, ज़ेनोफोबिया और असहिष्णुता की चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है। UN ने विशेषज्ञ सलाह प्रदान करने के लिए अफ्रीकी मूल के लोगों के स्थायी मंच की स्थापना के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव में एक ऐसे मंच की मांग की गई है जो अफ्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा, जीवन की गुणवत्ता और आजीविका में सुधार के लिए कार्य करे। यह उन सभी समाजों में अफ्रीकी समुदाय के पूरी तरह समावेशन को सुनिश्चित करेगा, जहाँ वे रहते हैं।
■ 193 सदस्यीय UN द्वारा इस मंच के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाया गया है।
■ महासभा के अनुसार "सभी मनुष्य स्वतंत्र, समा गरिमा के साथ पैदा हुए हैं और सभी के अधिकार समान हैं, उनके द्वारा समाज के विकास और कल्याण में रचनात्मक योगदान देने की क्षमता है" ।
■ नस्लीय श्रेष्ठता का सिद्धांत वैज्ञानिक रूप से गलत, नैतिक रूप से निंदनीय और सामाजिक रूप से अन्यायपूर्ण और खतरनाक है।
■ असेंबली ने नस्लवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए प्राथमिकता का मामला" कहा है।
■ इस मंच के कार्यों में इनमें "अफ्रीकी मूल के लोगों का पूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक समावेश" सुनिश्चित करने में मदद करना शामिल है।
■ इस फोरम में कुल 10 सदस्य होंगे जिसमें 5 सभी क्षेत्रों से महासभा द्वारा चुने जायेंगे और 5 अफ्रीकी मूल के लोगों के क्षेत्रीय समूहों और संगठनों के साथ परामर्श के बाद मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाएंगे।