थेरवाद बौद्धवाद | Theravada Buddhism

Theravada Buddhism

यह वयस्क भिक्षुओं को संदर्भित करता है। यह सम्प्रदाय पाली सिद्धांत (अस्तित्व में एकमात्र पूर्ण बौद्ध सिद्धांत) में सुरक्षित बुद्ध के उपदेशों को अपने सिद्धांत के मर्म के रूप में मानता है। थेरवाद में अंतिम लक्ष्य क्लेशों की समाप्ति और निर्वाण की उत्कृष्ट स्थिति (अवस्था) को प्राप्त करना है अर्थात् पुनर्जन्म एवं दुःख के चक्र से निकलने हेतु सर्वोत्तम आठ-सूत्री मार्ग का अभ्यास किया जाता है। क्लेशों में विभिन्न मानसिक स्थितियां सम्मलित हैं जैसे, चिंता, भय, क्रोध, ईर्ष्या, लालसा, अवसाद आदि। थेरवाद परम्परा के अनुसार, समता और विपासना बुद्ध के द्वारा वर्णित आठ-सूत्री श्रेष्ठ मार्ग के अभिन्न अंग हैं। समता मन को शांत करती है और विपसना का अर्थ है अस्तित्व के तीन गुणों की अंतदृष्टि: अस्थायित्व, दुःख और गैर-आत्मा की अनुभूति । थेरवाद विभाज्जवाद अर्थात “विश्लेषण का शिक्षण" की अवधारणा में विश्वास करता है। विशुद्धिमार्ग (शुद्धिकरण का मार्ग) बौद्ध धर्म की थेरवाद शाखा का सबसे बड़ा ग्रन्थ है। इसकी रचना बुद्धघोष ने पांचवी शताब्दी में श्रीलंका में की थी। इसमें शुद्धिकरण के सात चरणों (सत्त-विशुद्धि) की चर्चा की गयी है। थेरवाद के अंतर्गत निर्वाण प्राप्ति हेतु इनका पालन करना पड़ता है। थेरवाद बौद्ध धर्म के लिए पाली पवित्र भाषा है। थेरवाद को हीनयान सम्प्रदाय का परवर्ती माना जाता है। विश्व के लगभग 35.8 प्रतिशत बौद्ध थेरवाद परम्परा से संबंधित हैं। इसे मानने वाले देशों में श्रीलंका, कम्बोडिया, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार आदि हैं।

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