इसका अर्थ है बड़ा वाहन। यह सम्प्रदाय अधिक उदार है एवं बुद्ध और बोधिसत्वों को बुद्ध के दिव्य प्रतीक के रूप मानता है। महायान का अंतिम लक्ष्य आध्यात्मिक उत्थान' है। महायान के अनुयायी बुद्ध की मूर्ति या चित्र की पूजा में विश्वास करते हैं। बोधिसत्व की अवधारणा महायान बौद्ध धर्म का ही परिणाम है। महायान को "बोधिसत्वयान" या "बोधिसत्व का वाहन" भी कहते हैं। कहने का अर्थ यह है कि इसके अनुयायी, सभी प्रबुद्ध (अभिज्ञ) व्यक्तियों के उद्धार हेतु बोधिसत्व की अवधारणा में विश्वास रखते हैं। दूसरे शब्दों में वे सभी प्राणियों की दुखों से सार्वभौमिक मुक्ति में विश्वास रखते हैं। एक बोधिसत्व सभी प्राणियों के लाभार्थ पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति करना चाहता है। जो बोधिसत्व इस लक्ष्य को पा लेता है, उसे सम्यक्सम्बुद्ध/ सम्यक्संबुद्ध कहा जाता है। प्रमुख महायान ग्रन्थों में कमलसूत्र, महावंश आदि सम्मलित हैं। कमलसूत्र के अनुसार महायान सम्प्रदाय प्रत्येक व्यक्ति द्वारा छह परिपूर्णताओं (या परमिताओं) का पालन किए जाने में विश्वास रखता है :
- दान (उदारता)
- शील (सदाचार, नैतिकता, अनुशासन और सदाचार)
- शांति (धैर्य, सहनशीलता, प्रतिग्रह)
- वीर्य (ऊर्जा, कर्मठता, ओज, प्रयास)
- ध्यान (एक बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करना)
- प्रज्ञान (बुद्धिमता और परिज्ञान)
विद्वानों के अनुसार, बाद के समय में महायान के एक उप-पंथ (संप्रदाय) के रूप में वज्रयान विकसित हुआ। महायान विद्वानों ने प्रमुख रूप से संस्कृत भाषा का उपयोग किया। कुषाण वंश के सम्राट कनिष्क को पहली शताब्दी में महायान सम्प्रदाय का संस्थापक माना जाता है। वर्तमान में विश्व में बौद्ध धर्म के अधिकांश अनुयायी महायान सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। (2010 की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 53.2 प्रतिशत) अन्य राष्ट्र जहां इसका पालन होता है, उनमें नेपाल, बंग्लादेश, जापान, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, मंगोलिया, चीन, भूटान, तिब्बत आदि सम्मलित हैं।