अगस्त वह दिन है जब 2019 में जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। आज इस ऐतिहासिक निर्णय की दूसरी वर्षगांठ है, जिसने इस क्षेत्र पर गहरा प्रभाव छोड़ा। 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35 (A) के प्रावधान को रद्द कर दिया गया था। इन्हीं प्रावधानों के चलते तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्राप्त था और इसके अधिवास नियमों (Domicile rules) को परिभाषित किया जाता था। इन 2 वर्षों में जम्मू और कश्मीर में हुए 5 बड़े बदलाव–
1. जमीन –
■ अब जम्मू-कश्मीर से बाहर के लोग वहाँ जमीन खरीद सकते हैं
■ केंद्र सरकार ने एक गजट अधिसूचना में 'जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से "राज्य के स्थायी निवासी" वाक्यांश को हटा दिया है।
■ यह धारा भूमि के निपटान (disposal of the land) से संबंधित है।
2. अधिवास का दर्जा–
■ जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों से विवाहित स्थानीय महिलाओं के पतियों को अधिवास प्रमाण पत्र देने की अनुमति देने के लिए इस साल जुलाई में नियमों में बदलाव किया गया था।
■ यह कदम उन्हें केंद्र शासित प्रदेश में जमीन या संपत्ति खरीदने या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने की अनुमति देगा।
■ वे सभी लोग जो 15 वर्षों तक जम्मू और कश्मीर में रहे हैं या सात साल तक अध्ययन किया है और क्षेत्र के किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10 या 12 की परीक्षाओं में उपस्थित हुए हैं, ऐसे लोग और उनके बच्चे अधिवास का दर्जा दिए जाने के पात्र हैं।
3. अब जम्मू-कश्मीर का अलग झडा प्रचलन में नहीं रहा है
■ पहले इसे भारतीय तिरंगे के साथ फहराया जाता था।
4. पथराव करने वालों को पासपोर्ट के लिए सुरक्षा मंजूरी नहीं
■ जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग ने पथराव या विध्वंसक गतिविधियों में शामिल सभी लोगों को पासपोर्ट और अन्य सरकारी सेवाओं के लिए आवश्यक सुरक्षा मंजूरी से इनकार करने का आदेश दिया है।
■ यह आदेश 31 जुलाई को जारी किया गया था।
5. गुपकर अलायंस का गठन
■ जम्मू और कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर में चार अन्य दलों के साथ एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया है, जिसे गुपकर अलायंस कहा गया है।
■ इसका उद्देश्य क्षेत्र की विशेष स्थिति को फिर से प्राप्त करने के लिए काम करना है।