नवीन सामाजिक वर्गों के उद्भव की प्रक्रिया में असमानता थी। दूसरे शब्दों में, यह देश के विभिन्न भागों तथा अनेक समुदायों में समान रूप से विकसित नहीं हुई। इसका कारण यह था कि अंग्रेजी शासनकाल में विकसित सामाजिक शक्तियों का विस्तार समय व गति दृष्टि से असमान था। इस असमान विकास के लिए उत्तरदायी कारण निम्न प्रकार थे :
- इन शक्तियों का विस्तार भारत में राजनैतिक शक्ति के विकास पर निर्भर था। सर्वप्रथम बंगाल में जमींदार खातेदारों के दो वर्ग विकसित हुए। बंगाल व मुंबई में प्रथम औद्योगिक उद्यम प्रारंभ हुए। इस क्षेत्र में उद्योगपतियों व श्रमिकों का वर्ग उभरा।
- भिन्न समुदायों में भी नवीन सामाजिक वर्गों के विकास की प्रक्रिया समान न थी, क्योंकि अंग्रेजों से पूर्व के काल में कुछ समुदाय निश्चित आर्थिक, सामाजिक या शैक्षणिक व्यवसायों में लगे हुए थे। हमारी पारंपरिक सामाजिक संरचना में व्यस्त बनिये ही आधुनिक वाणिज्य बैंकिंग तथा औद्योगिक उद्यमों में आने वालों में प्रथम थे।
- आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले तथा व्यावसायिक वर्गों में प्रवेश करने वाले प्रथम ब्राह्मण थे। क्योंकि इन व्यवसायों के प्रति मूल अभिवृत्ति इनमें पहले से ह थी। अतः स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय सामाजिक संरचना जातियों व वर्गों की बनी हुई थी।
Thanks
ReplyDeleteThank you sir
ReplyDeleteThanks sir 🥰
ReplyDelete