राज्यों के नीति निदेशक तत्वों का वर्गीकरण(Classification of Directive Principles of State Policy):
राज्यों के नीति निदेशक तत्वों को संविधान में वर्गीकरण नहीं किया गया है लेकिन इनकी दशा एवं दिशा के आधार पर इन्हें तीन व्यापक श्रेणियों विभक्त किया है :
1) समाजवादी, 2)गांधीवादी, 3)उदार बुद्धिजीवी ;
समाजवादी सिद्धांत(socialist theory) :
ये सिद्धांत समाजवाद के आलोक में हैं। ये लोकतांत्रिक समाजवादी राज्य का खाका खींचते हैं, जिनका लक्ष्य सामाजिक एवं आर्थिक न्याय प्रदान कराना है। ये लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करते हैं ये राज्य को निर्देश देते हैं कि :
1. लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय द्वारा सामाजिक व्यवस्था सुनिश्चित करना और आय प्रतिष्ठा, सुविधाओं और अवसरों की असमानता को समाप्त करना (अनुच्छेद 38 )।
2. सुरक्षित करना (क) सभी नागरिकों को जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार (ख) सामूहित हित के लिए समुदाय के भौतिक संसाधनों का सम वितरण, (ग) धन और उत्पादन के साधनों का संकेन्द्रण रोकना, (घ) पुरुषों और स्त्रियों को समान कार्य के लिए समान वेतन, (ङ) कर्मकारों के स्वास्थ्य और शक्ति तथा बालकों को बलाम श्रम से संरक्षण, (च) बालकों को स्वास्थ्य विकास के अवसर(अनुच्छेद 39 )।
3. समान न्याय एवं गरीबों को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराना (अनुच्छेद 39क)।
4. काम पाने के शिक्षा पाने के और बेकारी, बुढ़ापा बीमारी और निरूशक्ततता की दशाओं में लोक सहायता पाने के अधिकार को संरक्षित करना (अनुच्छेद 41 )।
5. काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध करना (अनुच्छेद 42 ) ।
6. सभी कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर (अनुच्छेद 43 )।
7. उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों के भाग लेने के लिए कदम उठाना (अनुच्छेद 43 क )।
8. पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करना तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करना (अनुच्छेद 47 )।
गांधीवादी सिद्धांत (Gandhian doctrine) :
ये सिद्धांत गांधीवादी विचारधारा पर आधारित हैं ये राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गांधी द्वारा पुनर्स्थापित योजनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। गांधीजी के सपनों को साकार करने के लिए उनके कुछ विचारों को निदेशक तत्वों में शामिल किया गया है ये राज्य से अपेक्षा करते हैं:
1. ग्राम पंचायतों का गठन और उन्हें आवश्यक शक्तियां प्रदान कर स्व-सरकार की इकाई के रूप में कार्य करने की शक्ति प्रदान करना (अनुच्छेद 40 )|
2. ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर उद्योगों व्यक्तिगत या सहकारी के आधार पर कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन (अनुच्छेद 43 )।
3. सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त संचालन, लोकतान्त्रिक निमंत्रण तथा व्यावसायिक प्रबंधन को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 43B)।
4. अनुसूचित जाति एवं जनजाति और समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों की प्रोत्साहन और सामाजिक अन्याय एवं शोषण से सुरक्षा (अनुच्छेद 46 )।
5. स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक नशीली दवाओं, मदिरा, ड्रग के औषधीय प्रयोजनों से भिन्न उपभोग पर प्रतिबंध (अनुच्छेद 47)।
6. गाय, बछड़ा व अन्य दुधारू पशुओं की बलि पर रोक और उनकी नस्लों में सुधार को प्रोत्साहन (अनुच्छेद 48 )।
उदार बौद्धिक सिद्धांत (liberal intellectual theory) :
इस श्रेणी में उन सिद्धांतों को शामिल किया है जो उदारवादिता की विचारधारा से संबंधित हैं । ये राज्य को निर्देश देते हैं:
1. भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता (अनुच्छेद 44 )।
2. सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देना (अनुच्छेद 45)।
3. कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों
से करना (अनुच्छेद 48)।
4. पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा" (अनुच्छेद 48 )।
5. राष्ट्रीय महत्व वाले घोषित किए गए कलात्मक ऐतिहासिक अभिरुचि वाले संस्मारक या स्थान या वस्तु का संरक्षण करना (अनुच्छेद 49 )।
6. राज्य की लोक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका
से पृथक् करना (अनुच्छेद 50 )।
7. अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करना तथा राष्ट्रों
के बीच न्यायपूर्ण और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाए रखना, अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाना और अंतर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थ द्वारा निपटाने के लिए प्रोत्साहन देना (अनुच्छेद 51 )।
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