पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव हमारे इकोसिस्टम के लिए बहुत ही जरूरी है । अब चाहें वो धरती पर रहता हो , पानी में तैरता हों या फिर उसका बसेरा पेड़ों पर हों। बहुत सी प्रजातियां ऐसी है जिसे हम अपनी आखों से देख भी नहीं पाते , उन्हें देखने के लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ती है । लेकिन हमारी पृथ्वी और इसकी पर्यावरण को बनाए रखने में ये सूक्ष्म जीव भी अपनी अपनी भूमिका निभा रहे हैं । ये बात सही है आज इंसान इस धरती की सबसे सर्बब्यापी प्रजाति है और वो महाबली बनने में जुटा है लेकिन आधुनिक इंसानों की प्रजाति यानी होमो-सिपिएंस सिर्फ़ 3 लाख साल पुरानी है जबकि बहुत से जीव इस पृथ्वी पर करोड़ों सालों से रह रहे हैं उस समय से जब डायनासोर(Dinosaur) हुआ करते थे ।
क्या आज भी ऐसे जानवर है जो डायनासोर के खत्म होने के बाद भी बचे रहें ?
लगभग 6.6 करोड़ साल पहले एक 14 किलोमीटर चौड़ा एक एस्ट्रॉइद पृथ्वी पर टकराया और धरती पर रहने वाले बहुत से जीव खत्म हो गए । कुछ ही सेकेंड में एस्ट्रॉयड ने पूरी पृथ्वी को जला दिया , ज्वालामुखी फटने लगे । कुछ ही दिनों के भीतर पृथ्वी अंधेरे के चादर में लिपट गई । इसके बाद वर्षो तक ख़तरनाक हिमयुग रहा । Acid की बारिश ने महासागरों को बदल दिया । सब पेड़-पौधे मर गए , धरती की तीन-चौथाई प्रजातियां खत्म हों गई । आज की सरीसृप छोटे डायनासोर जैसे देखते हैं लेकिन उनकी और डायनासोर के बीच गंभीर समानताएं हैं । मगरमच्छओ के साथ ऐसा नहीं है उनकी प्रजाति 25 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आए , ये डायनासोर के दौर के ही जीव है । कछुआ भी सबसे पुराने सरीसृप समूहों में आते हैं । महासागर में सबसे पहले कछुए साढ़े 22 करोड़ साल पहले तहेरे थे । इनकी बनावट भी अकेले रहने वाले प्राचीन जीवों में से है जो आज भी जीवित है । एस्ट्रॉइड की तबाही शार्क जैसी मछलीओ पर बहुत कम हुआ ।पक्षियों का विकास उन डायनासोरो से हुआ जो अपने पंखों के कारण बच गए थे।
इंसान ऐसा प्राणी है जो इस पृथ्वी को एकले से चलाने की कोशिश करता है और वो सायेद इसलिए क्युकी वो ऐसा कर पा रहा है । लेकिन इसके दुष्परिणाम भी हम देख रहे हैं । दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के रूप में पृथ्वी अपना रौद्र रूप देखा रही है । पर्याणरणबिद लगातार चेतावनी दे रहें हैं की जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए तेजी से कदम उठाने की जरूरत है कहीं ऐसा न हो की सबकुछ खत्म हो जाए ।
जिस तरह करोड़ों साल पहले एक एस्ट्रॉयड ने धरती पर डायनासोर की नाम और निशान मिटा दिया था क्या भविष्य में फिर ऐसा हो सकता है ?
एस्ट्रॉइड अंतरिक्ष में घूरते हुए पत्थर है ये हमारे सौरमंडल के शुरुआती दिनों का मलबा है। अब उन में से बहुत सारे बृहस्पति और मंगल ग्रहों के बीच सूर्य का परिक्रमा कर रहे हैं , अब उस जगह को एस्ट्रोयड बेल्ट कहते हैं । अगर छोटे-छोटे एस्ट्राइड बृहस्पति के नजदीक चले जाते हैं तो इस विशाल ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें स्थिर कक्षा से बाहर फेक देता है और वो फ़िर पृथ्वी के तरफ आ सकते हैं । ये आवारा एस्ट्रॉयड दूसरे एस्ट्रॉयड से टकरा सकते हैं और इससे बनी एस्ट्रॉयड की छोटे छोटे टुकड़े भी हमारे पृथ्वी के लिए मुशीबत बन सकते हैं इसीलिए आकाश पर लगातार नजर रखी जाती है की खतरनाक एस्ट्रॉयड का पता लगाकर उनकी चाल को समझा जा सके । धरती के करीब से निकलने वाले लगभग 2200 एस्ट्रॉयड के बारे में जानकारी दर्ज है , इनमें से एक तो इतना बड़ा था की उससे भारी नुकसान हो सकता था । कुछ एस्ट्रॉयड तो हर 4 घंटे में पृथ्वी के पास से गुजरते हैं इनका ब्यास कई किलोमीटर का होता है और ये इतने बड़े होते हैं की ये रडार टेलीस्कोप से भी देखे जा सकते हैं। इनके पृथ्वी से टकराने पर भारी तबाही हो सकती है । नई गणनाओं के अनुसार अगले 200 सालों तक ऐसा खतरा बहुत कम है । दुर्भाग्य से पृथ्वी पर मौजूद टेलीस्कोप सूर्य के तरफ से आने वाले एस्ट्रॉयड को नहीं देख सकते ।
आपको ये ब्लॉग कैसा लगा और आप इस बारे में क्या सोचते हैं हमें कॉमेंट में जरूर बताएं ।
धन्यवाद!
Good
ReplyDelete