नई दिल्ली : भारत सरकार ने वैक्सीन की नई पॉलिसी (New vaccination policy) कोरोना के दूसरी लहर कमजोर होने के बीच टीकाकरण के लिए लाई है । यह vaccinations policy इस प्रकार हैं —
इसमें कहा गया है राज्यों को वैक्सीन आबादी , संक्रमण का बोझ और वैक्सिनेशन की गति के आधार पर आबंटन किया जायगा । गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि अगर वैक्सिन की बर्बादी ज्यादा होगी तो राज्यों को होने वाली आबंटन पर इसका असर पड़ेगा ।
वैक्सीन की बर्बादी को लेकर केंद्र और कुछ राज्यों के बीच अनबन चल रही है. मई में स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार - झारखंड (लगभग 37%), छत्तीसगढ़ (30%), तमिलनाडु (15.5%), जम्मू और कश्मीर (10.8%) और मध्य प्रदेश (10.7%) ने वैक्सिन बर्बादी का जिक्र किया था.रिपोर्ट में कहा गया था कि ये राज्य राष्ट्रीय औसत (6.3%) की तुलना में बहुत अधिक बर्बादी कर रहे हैं.
क्या कहा गया है नई गाइडलाइन में :
18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के जनसंख्या समूह के भीतर, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश टीके की आपूर्ति अनुसूची में अपनी प्राथमिकता तय कर सकते हैं. कई राज्य आयु समूहों के भीतर प्राइआरिटी तय करने का विकल्प दिए जाने की मांग कर रहे थे.
निजी अस्पतालों के लिए टीके की खुराक की कीमत प्रत्येक वैक्सीन निर्माता द्वारा घोषित की जाएगी और बाद में होने वाले किसी भी बदलाव को पहले ही जानकारी दी जाएगी. निजी अस्पताल सेवा शुल्क के रूप में प्रति खुराक अधिकतम 150 रुपये तक चार्ज कर सकते हैं. राज्य सरकारें इसकी निगरानी कर सकती हैं.
वैक्सीन निर्माताओं द्वारा उत्पादन और नए टीकों को प्रोत्साहित करने के लिए, घरेलू वैक्सीन निर्माताओं को सीधे निजी अस्पतालों को भी टीके उपलब्ध कराने का विकल्प दिया गया है.