अयोध्या : यह ताजा मामला अयोध्या राम मंदिर परिसर से कुछ ही फासले के दूरी पर स्थित मुहल्ला बाग बिजेसी की है । जिस पर समाजवादी पार्टी के नेता तेजनारायण पांडेय पवन ने भूमि की खरीद पर घोटाले का आरोप लगाया था लेकिन उस आरोप का पोल 24 घंटे का भीतर ही खुल गई ।
समाजवादी पार्टी के नेता की मुख्य आरोप था जिस भूमि का इसी वर्ष 18 मार्च को तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जो भूमि 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया, उस भूमि का एग्रीमेंट करने वाले रविमोहन तिवारी एवं सुल्तान अंसारी ने उसी तारीख को 10 मिनट पूर्व ही मात्र दो करोड़ रुपये में बैनामा कराया था । इसमें करोड़ों का घोटाला किया गया है। ,, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने रविवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी जांच सीबीआई और ईडी से कराने की मांग की थी. सिंह ने लखनऊ में दावा किया था कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत की जमीन 18 करोड़ रुपए में खरीदी. उन्होंने कहा था कि यह सीधे-सीधे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराये. इस विवाद पर कांग्रेस की सांसद राहुल गांधी जी ने भी ट्वीट करकर कहा " श्रीराम स्वयं न्याय हैं, सत्य हैं, धर्म हैं- उनके नाम पर धोखा अधर्म है! #राम_मंदिर_घोटाला "
लेकिन सत्य ये है कि 10 साल पूर्व 4 मार्च 2011 को इरफान, हरिदास एवं कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था। तीन साल बाद इस एग्रीमेंट का नवीनीकरण भी कराया गया। यह भूमि 2017 में हरिदास एवं कुसुम पाठक ने भू स्वामी नूर आलम, महफूज आलम एवं जावेद आलम से बैनामा करा ली और हरिदास एवं कुसुम पाठक से यह भूमि 17 सितंबर 2019 को रविमोहन तिवारी, सुल्तान अंसारी आदि आठ लोगों ने एग्रीमेंट करा ली और रविमोहन एवं सुल्तान अंसारी ने ही 18 मार्च को यह भूमि बैनामा करा ली।
ट्रस्ट के ट्रस्ट के नाम संबंधित भूमि का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करने वाले सुल्तान अंसारी ने कहा -
"संबंधित भूमि के क्रय-विक्रय में न हमने और न ट्रस्ट ने कोई धोखा किया है। घपले का आरोप लगाने वाले अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि एक दशक पूर्व अयोध्या में जब जमीन की कीमत काफी कम थी, तभी हम लोगों ने दो करोड़ में संबंंधित भूमि का एग्रीमेंट कराया था। यह कहना गलत है कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दी गई भूमि में जमकर मलाई काटी गई, जबकि सच्चाई यह है कि राम मंदिर में सहयोग को ध्यान में रखकर इस जमीन को बाजार भाव से काफी कम में एग्रीमेंट किया गया है।"
ट्रस्ट में घोटाले के आरोपों पर महासचिव चंपत राय ने कहा -
"दुर्भाग्यपूर्ण है कि आरोप लगाने वालों ने आरोप से पहले ट्रस्ट के पदाधिकारियों से तथ्यों की जानकारी नहीं ली. सभी लेनदेन बैंक टू बैंक हुए हैं और टैक्स में कोई चोरी नहीं की गई है , जितना क्षेत्रफल है उसकी तुलना में इस भूमि का मूल्य 1423 रुपये प्रति वर्ग फीट है जो बाजार मूल्य से बहुत कम है. मालिकाना हक का निर्णय करना बहुत जरूरी था जो कराया गया. हमने जमीन का एग्रीमेंट करा लिया. अभी बैनामा कराया जाना बाकी है ।"
राम मंदिर की जमीन को लेकर चल रहे विवाद के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अफसरों से जानकारी मांगी है । अधिकारियों ने उन्हें मामले से जुड़ी सारी जानकारी दी और जमीन से जुड़े कागजात भी दिखाए है।